शनिवार, 19 अप्रैल 2008

कैमीकल लोचा

कैमीकल लोचा मुन्‍ना भाई वाला इसमें कुछ दम लगता है यारों , लेकिन मै इसे थिंकिग लोचा कहूगां क्‍योकि जितना ज्‍यादा बापू के बारे में सोचो । अजीब सा होने लगता है । आज मैं उनके आखिरी आदमी वाले विचार पर सोचने लगा तो लगा जैसे कि अपुन भी बहुत बडा विचारक हो गया है। आखरी आदमी वाला उनका वक्‍तव्‍य सेम टू सेम तो याद नहीं है लेकिन उसका मतलब कुछ ऐसा अपन समझा कि कोई भी आदमी खासकर नेता और सरकारी अधिकारी कर्मचारी अगर किसी काम को करते है और फैसला लेने में दुविधा महसूस करते है तो वो समाज के सबसे गरीब वंचित आदमी का ध्‍यान करे और अपने से पूछे कि इससे उस गरीब पर क्‍या असर पडेगा । बस दुविधा खत्‍म । लेकिन फिर मै सोचने लगा कि क्‍या बापू आज के अन्‍तरात्‍मा विहीन लोगो से मिलते तो क्‍या कहते