मंगलवार, 19 मई 2009

अभी शेष है नाटक

अब का्ग्रेस की सरकार बिना किसी विघ्‍न बाधाओं के बन गई है और मात्र एक पी एम वेटिंग को छोडकर सारे पी एम एट सोनिया की चरण वन्‍दना में लगे है अदभुत नजारा है अपने अपने क्षेत्रो व जाति इलाको के शेर बिल्‍ली बने दिख रहे है
पॉंच साल पहले विदेशी महिला का शोर मचा कर जो दहाडते फिर रहे थे आज उसी के सामने जनता ने सबको सर्कस का जोकर बना दिया है।
आखिर हुआ क्‍या है चमत्‍कार क्‍या है
जैसे ही सोनियाजी ने प्रधानमंत्री के पद के लिये अपना नाम अस्‍वीकार कर दिया उसी क्षण भावुक जनता ने उन्‍हें स्‍वीकार कर लिया ।
और जब मनमोहन ने पूर्ण सहयोग और बिना किसी महत्‍वकांक्षा के सोनिया का सहयोग किया तो बात बन गई काग्रेंस बच गई फिर जब राजकुमार को अपना दायित्‍व समझ आया तो शबरी कलावती के रूप में आ गई फिर सूचना का अधिकार ने लापरवाह और भ्रष्‍ट नौकरशाही की खाल उघेडनी शूरू की तो नरेगा ने डूबते को तिनके का सहारा दिया
अब इन्‍तजार है बाकी फिल्‍म का

सोमवार, 18 मई 2009

चुनावो का अजीब संयोग

अब जबकि देश में यूपीए की सरकार बन गई है तब किसी ने सोचा कि श्रीलंका में प्रभाकरण का खेल खत्‍म हो गया है प्रभाकरण के पक्ष या विपक्ष में होने के अलग अलग तर्क हो सकते है लेकिन जिस प्रभाकरण ने चुनाव का सहारा लेकर पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गान्‍धी की निर्मम हत्‍या की और भारत को 20 साल कर उठापटक की राजनीति में धकेल दिया उसी प्रभाकरण की कहानी भारत में स्‍थायी सरकार बनने की सम्‍भावना के साथ ही खत्‍म होगई क्‍या ये मात्र सयोंग है या राजनीति की बिसात पर अनुभवी खिलाडी की एक और जर्बदस्‍त चाल ।

जिस लिटटे को बचाने के लिये निर्दोष तमिल की रक्षा के नाम पर भारत की वायुसेना ने भोजन सामग्री के नाम पर अपनी ताकत दिखाई उसकी बजह क्‍या थी और इस बार वो वजह क्‍यो गायब हो गई । लगता है कि भारत अब अनुभवी हाथों में है जो धोखा देने वालो को बक्‍शने के मूड में कतई नहीं है