चुनावो का अजीब संयोग
अब जबकि देश में यूपीए की सरकार बन गई है तब किसी ने सोचा कि श्रीलंका में प्रभाकरण का खेल खत्म हो गया है प्रभाकरण के पक्ष या विपक्ष में होने के अलग अलग तर्क हो सकते है लेकिन जिस प्रभाकरण ने चुनाव का सहारा लेकर पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गान्धी की निर्मम हत्या की और भारत को 20 साल कर उठापटक की राजनीति में धकेल दिया उसी प्रभाकरण की कहानी भारत में स्थायी सरकार बनने की सम्भावना के साथ ही खत्म होगई क्या ये मात्र सयोंग है या राजनीति की बिसात पर अनुभवी खिलाडी की एक और जर्बदस्त चाल ।
जिस लिटटे को बचाने के लिये निर्दोष तमिल की रक्षा के नाम पर भारत की वायुसेना ने भोजन सामग्री के नाम पर अपनी ताकत दिखाई उसकी बजह क्या थी और इस बार वो वजह क्यो गायब हो गई । लगता है कि भारत अब अनुभवी हाथों में है जो धोखा देने वालो को बक्शने के मूड में कतई नहीं है
1 टिप्पणी:
बिलकुल सही ।
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