अभी शेष है नाटक
अब का्ग्रेस की सरकार बिना किसी विघ्न बाधाओं के बन गई है और मात्र एक पी एम वेटिंग को छोडकर सारे पी एम एट सोनिया की चरण वन्दना में लगे है अदभुत नजारा है अपने अपने क्षेत्रो व जाति इलाको के शेर बिल्ली बने दिख रहे है
पॉंच साल पहले विदेशी महिला का शोर मचा कर जो दहाडते फिर रहे थे आज उसी के सामने जनता ने सबको सर्कस का जोकर बना दिया है।
आखिर हुआ क्या है चमत्कार क्या है
जैसे ही सोनियाजी ने प्रधानमंत्री के पद के लिये अपना नाम अस्वीकार कर दिया उसी क्षण भावुक जनता ने उन्हें स्वीकार कर लिया ।
और जब मनमोहन ने पूर्ण सहयोग और बिना किसी महत्वकांक्षा के सोनिया का सहयोग किया तो बात बन गई काग्रेंस बच गई फिर जब राजकुमार को अपना दायित्व समझ आया तो शबरी कलावती के रूप में आ गई फिर सूचना का अधिकार ने लापरवाह और भ्रष्ट नौकरशाही की खाल उघेडनी शूरू की तो नरेगा ने डूबते को तिनके का सहारा दिया
अब इन्तजार है बाकी फिल्म का